वायु प्रदूषण से बच्चों में बेचैनी, अवसाद

वायु प्रदूषण से बच्चों में बेचैनी, अवसाद

सेहतराग टीम

प्रदूषण हमारे शरीर पर कई तरह से असर डालता है। ये असर हमेशा नकारात्‍मक ही होते हैं। इसके बावजूद आधुनिकता की अंधी होड़ में समाज प्रदूषण को झेलने को मजबूर हे। भारत के कुछ शहरों में वायु प्रदूषण अत्‍यधिक खतरनाक की श्रेणी में होता है। इसके बावजूद करोड़ों लोग इस खतरे को झेलने के लिए अभिशप्‍त हैं।

अब अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि यातायात संबंधी वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों के दिमाग के रसायन में बदलाव हो सकता है जिससे चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकारों का खतरा बढ़ जाता है। 

वायु प्रदूषण के संपर्क में रहना एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो अस्थमा और सांस रोग के साथ ही दिल की बीमारियों से जुड़ी है और इससे हृदयाघात का खतरा बढ़ जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक प्रदूषण की वजह से हर साल पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौत होती है। अमेरिका के सिनसिनाटी विश्वविद्यालय और सिनसिनाटी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने किशोरावस्था से पूर्व न्यूरोकेमेस्ट्री में बदलाव को देखते हुए परिवहन संबंधी वायु प्रदूषण (टीआरएपी) और बचपन की चिंता में सह-संबंध का अध्ययन किया। 

सिनसिनाटी विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर कैली ब्रंस्ट ने कहा, ‘हालिया साक्ष्य ये संकेत देते हैं कि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र विशेष रूप से वायु प्रदूषण की चपेट में आता है और चिंता तथा अवसाद जैसे मानसिक विकारों के पनपने में इसकी भूमिका का संकेत देता है। खासकर बच्‍चों में ये स्थिति ज्‍यादा देखने में आई है।’

यह अध्ययन जर्नल एनवॉयरमेंटल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है और ब्रंस्ट इसकी मुख्य लेखिका हैं। शोधकर्ताओं ने 12 वर्ष तक के 145 बच्चों पर यह अध्ययन किया।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।